विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 30)
"तुम यहाँ कैसे?" डार्क फेयरीज़ हैरान थीं। पूरा गांव खौलते हुए ठंडे लावे में डूब चुका था। अब वायु का दबाव कम हो रहा था। उनके समक्ष विस्तार और मैत्रा उनकी ऊँचाई के बराबर उड़ते हुए खड़े थे। दोनो ने भी किसी को बचाने की कोई कोशिश तक न की।
"तुम्हें ये सब रोकना होगा मेरी बहनों! तुम इसके लिए नही बनी हुई हो!" विस्तार आगे बढ़ता हुआ बोला। उसके स्वर में भावुकता भरी हुई थी।
"तुम डार्क फेयरीज़ को नही जानते विस्तार!" ऐश, चमकती किरणों से विस्तार पर हमला करते हुए बोली। विस्तार ने उससे बचने की कोई कोशिश नही किया, मैत्रा ने उस वार को रोक लिया।
"मुझे विश्वास है तुम काली शक्ति की संयोजक को नही भूली होगी डार्क फेयरीज़! तुम्हें जितनी तबाही मचानी थी तुमने मचा लिया। एक साथ कई हजारों गांव तबाह के दिये तुमने पर अब और नही…!" आवेश में भड़कती हुई मैत्रा बोली।
"डार्क फेयरीज़ को रोक सको इतनी शक्ति तो तुम्हारे पास भी नही है मैत्रा! क्या करोगी तुम?" आँच क्रूर मुस्कान सजाये व्यंग्य करते हुए बोली।
"हम यहां लड़ने नही आये हैं डार्क फेयरीज़! हम बस तुम्हें समझाना चाहते हैं।" विस्तार अधीर हो रहा था। वह अपनी बहनों पर हाथ नही उठाना चाहता था। उसे, उनपर वार करने का साहस नही हो रहा था, सदियों बाद उसे कुछ ऐसा मिला था जिसे वह परिवार कह सके। पितातुल्य आचार्य सूरज शुक्ल और उसकी बहने, डार्क फेयरीज़ और मैत्रा! वह किसी पर वार नही करना चाहता था, इनके होने से उसे एक विश्वास मिला था कि वह सबकुछ ठीक कर लेगा। एक भाई जो सदियो से अपनी बहनों से न मिला हो वह भला उनके मिलने पर खोने की गलती कैसे कर सकता था। तभी तो मैत्रा के लड़ने आने पर उसे समझाया और अब डार्क फेयरीज़ को समझाना चाहता है। उसकी स्याह आँखे बड़ी अधीरता से डार्क फेयरीज़ को ताके जा रहीं थीं परन्तु इसके उलट डार्क फेयरीज़ की आँखों में क्रोध के अतिरिक्त कोई अन्य भाव न था। यह क्रोध भी विस्तार के प्रेम और धैर्य से अधिक बलवान प्रतीत हो रहा था।
"सत्ता और शासन! जीवन बस राज करने के लिए है। तुम स्वयं नही जानते तुम क्या हो, हमारे रास्ते से हट जाओ विस्तार! अब चारों ओर सिर्फ अंधकार ही होगा।" ऐश गुर्राते हुए बोली, मैत्रा उसको मुहतोड़ जवाब देने आगे बढ़ी पर विस्तार ने उसे रोक लिया। डार्क फेयरीज़ की आँखों में क्रोध उमड़ता हुआ बढ़ता जा रहा था।
विस्तार जैसे अब किसी अन्य दुनिया में खो चुका था, उसे कुछ भी स्पष्ट रूप से समझ नही आ रहा था।
■■■
अभी से कुछ समय पूर्व
नराक्ष के दरबार में
वीर स्वयं को सत्य सिद्ध करना चाहता था। परन्तु नराक्ष ने उसकी एक न सुनी वह विस्तार की शक्तियो का प्रयोग कर सम्पूर्ण संसार पर अंधकार कायम कर उसपर राज करना चाहता था।
"एक बार पुनः विचार लें स्वामी! हमारी हार का इकलौता कारण विस्तार बनेगा।" वीर खुसपुसाते हुए बोला।
"चुप करो तुम! अपनी विफलताओं का जिम्मा किसी और क माथे नही मढ़ सकते। विस्तार - मैत्रा! जाओ और शक्ति संयोजन कर संसार को अंधकार से भर दो।" नराक्ष गरजते हुए बोला। विस्तार और मैत्रा ने बिना किसी प्रतिरोध के वहां से निकलकर संसार में अंधकार फैलाने चले गए।
"तुम विस्तार को मारना चाहते हो वीर? नही मार सकते!" नराक्ष कि आँखों में क्रोध का ज्वालामुखी फट पड़ा था।
"परंतु क्यों?" वीर पूछना चाहता था परन्तु उसकी आवाज गले में ही दबी रह गयी।
"उस ग्रेमन से युद्ध की तैयारियां करो वीर! मैं दुनिया जीतने से पहले ही अंधेरे का ईश्वर बन जाना चाहता हूं।" नराक्ष रहस्यमयी मुस्कान सजाये हुए बोला। इस मुस्कान को लिए वह पहले से अधिक वहसी दरिंदा दिखाई दे रहा था। उसकी बात सुनकर वीर चौंक पड़ा।
◆◆◆
समुद्र में हलचल तेज होने लगी, अचानक से लहरे काफी ऊपर तक उठने लगी, घूमते हुए भंवर का रूप धारण का जल ऊपर उठने लगा। एक विशाल समुद्री जहाज हजारों यात्रियों को लेकर समुंदर केई छाती चीरता हुआ आगे बढ़ रहा था। लहरों के इस भीषण तूफान को देखकर जहाज का कैप्टन घबरा गया। देख पर खड़े लोगों ने जब इस समुद्री तूफान से उठती लहरो को अपनी ओर बढ़ते देखा सभी अपने कक्षो की ओर भागने लगे, चारों ओर भगदड़ मच गया, जहाज का कैप्टन स्पीकर पर एनाउंस करके उन्हें शांत करने का प्रयास कर रहा था।
लोगो में भय बहुत अधिक बढ़ चुका था, सभी धक्का मुक्की करते हुए बढ़ते जा रहे थे। अचानक एक लहर ने एक जोरदार टक्कर मारा, जहाज हल्का टेड़ा हो गया, एक दो जगह से जहाज में पानी भरने लगा था। अब तक लगातार टक्करों और अंदर मची भगदड़ से जहाज असन्तुलित हो चुका था। कैप्टन ने आदेश दिया कि सब लाइव बोट का उपयोग कर किनारे तक पहुचेंगे। क्रू के सारे मेंबर्स, पैसेंजर्स की जान बचाने के लिए हर सम्भव कोशिश कर रहे थे। महिलायें और बच्चे भय के चीख रहे थे, कुछ समय पहले यहां जो खुशनुमा माहौल था अब वह मातम में बदलने लगा था। दिशासूचक यंत्र पर इस स्थान की पुष्टि नही हो पा रही थी, आस पास कोई द्वीप भी नजर नही आ रहा था। सभी यंत्र और यंत्र प्रणालियां ठप्प पड़ती जा रही थी, लगातार जोरदार टक्कर लगने के कारण जहाज के चालक (हेल्मसमैन) का सिर चकरा गया और उसे उल्टियां आने लगी। क्रू के अन्य मेम्बर किसी तरह इस स्थिति को संभालने का प्रयास कर रहे थे परन्तु उन्हें घबराये हुए यात्रियों से रत्तीभर भी सहयोग न मिला। इससे पहले कोई कुछ कर पाता अगले ही क्षण वह जहाज कई टुकड़ो में छिन्न-भिन्न होकर जलमग्न हो गया।
"ये तुमने क्या किया?" वातावरण में क्रोधित स्वर उभरा। समुद्र की लहरे धीरे धीरे शांत होने लगी।
"जो हमें करने को कहा गया है।" शांत स्वर में उत्तर मिला।
"हमें इन्हें बचाना होगा मैत्रा! मैं इस समय तुमसे बहस करने में समय व्यर्थ नही कर सकता।" विस्तार का बदन क्रोध और व्यथा से कांप सा रहा था।
"स्वामी नराक्ष ने तबाही फैलाने की आज्ञा दी है विस्तार! किसी को बचाने के लिए। सत्ता और शासन हेतु कुछ की बलि चढ़ जाए तो उसका शोक नही करते।" मैत्रा ने उत्तर दिया। उसके स्वर में कोई भाव नही था।
"तुम किसी की सेविका नही हो मैत्रा! कुछ देर पहले तक मैं भी तुम्हारा सहयोग कर रहा था परन्तु समुद्र के इस हलचल ने मुझपर से नराक्ष का प्रभाव हटा दिया। मैं जानबूझकर उसके सामने उसके वश में होने का अभिनय कर रहा था परन्तु अचानक से उसने मुझपर नियंत्रण कर लिया।" विस्तार के स्वर में झल्लाहट के साथ चिंता स्पष्ट दिखाई दे रही थी।
"मुझे नराक्ष के द्वारा जागृत किया गया है विस्तार! उसकी आज्ञा का पालन करना मेरा कर्तव्य है!" मैत्रा कठोर स्वर में बोली और वहां से जाने लगी।
"रुक जाओ मैत्रा! मैं नही चाहता मेरी बहन अपने कर्तव्य को भूल जाये! याद करो तुम्हारा कर्तव्य काली शक्ति का श्वेत शक्ति के साथ समन्वय बिठाकर रखना है।" विस्तार चीख-चीखकर कह रहा था। "तुम्हारा कर्तव्य इन्हें बचाना है, इनको मारना नही! यदि तुम यह करोगी तो इन्हें बचाना किसका कर्तव्य है?"
"तुम्हारा कोई भी भाषण मैत्रा के निर्णय को परिवर्तित नही करा सकता विस्तार! यदि स्वामी ने तुम्हें नही भेजा होता तो तुम भी इन्ही सबके साथ समुद्र में सदैव के लिए सो चुके होते।" मैत्रा के हाथों और माथे पर चमक बढ़ने लगी।
"यदि होना है तो यही सही मेरी बहन! नराक्ष कभी संसार का भला नही चाहता और मैं इस संसार का बुरा नही होने दे सकता।" विस्तार न चाहते हुए भी लड़ने को तैयार हो गया। मैत्रा के हाथों से पीली-काली किरणे निकलकर विस्तार की ओर बढ़ी, किरणों के टकराते ही विस्तार लहराकर समुद्र में गिरने लगा, मैत्रा इतने भर में नही रुकी वह एक के बाद एक वार करती गयी, विस्तार गिरते हुए समुद्र के ऊपर जल के तल से कुछ ही फासले पर ठहर गया।
विस्तार को प्रतिरोध करते न देख मैत्रा का क्रोध बढ़ गया, उसने अगला वार किया जिससे विस्तार एक ओर हटकर बच गया, किरण समुद्र से जाकर टकराई जिससे समुद्र में एक विशाल धमाका हुआ।
विस्तार अब शांत नही बैठ सकता था, उसने प्रत्युत्तर में उर्जावार किया परंतु मैत्रा पर इस वार का कोई असर न हुआ। मैत्रा उसे अपनी किरणों में बांधने की कोशिश की, विस्तार हर बार उसके वार को असफल कर बचता जा रहा था। अब विस्तार की आंखे पहले से अधिक स्याह होने लगा था। सीने पर उभरा ओमेगा चिन्ह चमकने लगा, उसके दोनों हाथों में स्याहिया स्फुटित हो रही थीं वह तेज गति से मैत्रा की ओर बढ़ा।
"अब तक मेरी सारी ऊर्जा तुम्हारे द्वारा किये उत्पातों को ठीक करने में लगी थी बहन! तुम्हारा मस्तिष्क खराब हो गया है इसे ठीक करना पड़ेगा।" कहते हुए विस्तार जाकर मैत्रा के सिर को दोनों हाथों से पकड़ लेता है, मैत्रा बचने की कोशिश करती है परन्तु ओमेगा के सामने वह शून्य हो गयी, उसका मस्तिष्क अचेतावस्था में होने लगा, उसपर से नराक्ष का प्रभाव हटने लगा। विस्तार ने उसे धक्का दे दिया जिससे जाकर वह समुद्र तल में जा गिरी। कुछ क्षण बाद जब वह बाहर आई तो उसपर से नराक्ष का प्रभाव हट चुका था। विस्तार के साथ मिलकर उसने सभी जहाजों को ठीक किया और विस्तार द्वारा सुरक्षित किये गए लोगो को पुनः उनके स्मृति से यह सब मिटाकर जहाजों में बिठा दिया। समुद्र की लहरें अब बिल्कुल शांत थी। विस्तार और मैत्रा वहां से चल दिये, जहाँ से उनका अगला लक्ष्य डार्क फेयरीज़ को समझाना और नराक्ष, ग्रेमन आदि शक्तियों को अंधकार का राज्य स्थापित करने से रोकना था।
◆◆◆◆
"मेरी बात को समझने का प्रयत्न करो ऐश और आँच! मैं तुम्हें इस प्रकार नही देख सकता।" विस्तार के करुण स्वर में बोला, उसकी आँखें नम थी। मैत्रा अपलक उसे देखे जा रही थी।
"इस समय तुम मेरे कार्य में अवरोध उत्पन्न कर रहे हो विस्तार और अवरोध डालना शत्रु का कार्य है।" आँच भड़कते हुए बोली।
"और डार्क फेयरीज़ अपने शत्रु को पुरस्कृत करती हैं कल्पना से भी भयानक मौत देकर!" ऐश का बदन तेजी से चमक रहा था। उसके अचानक वार से विस्तार काफी दूर जा गिरा।
"रुक जाओ!" मैत्रा उनकी ओर बढ़ते हुए बोली। "विस्तार का कहना सत्य है। तुम दोनों भी काली शक्तियों के सहयोगी हो परन्तु ग्रेमन जैसे तुच्छ जीव के सेवक नही।" मैत्रा आँच के वार को रोकते हुए बोली।
"तुम्हें कुछ भी ज्ञात नही मैत्रा! तुम डार्क फेयरीज़ की शक्तियों से पूर्णतः अनभिज्ञ हो।" कहते हुए दोनों ने मिलकर मैत्रा पर उर्जावार किया जिससे उसका संतुलन बिगड़ गया और वह लड़खड़ाकर गिरने लगी। विस्तार ने तेजी से उसकी तरफ उड़कर उसे सम्भाला, अब उसकी आँखों में शैतानी चमक भरने लगी थी, सीने पर बना हुआ ओमेगा चिन्ह तीव्र प्रकाश के साथ चमकने लगा जिससे वहां रात की काली चादर में उजाला हो गया। हाथों में स्याहिया नाच गयी वह क्रुद्ध नज़रो से देखता हुआ डार्क फेयरीज़ की ओर बढ़ा।
क्रमशः...
Kaushalya Rani
25-Nov-2021 10:20 PM
Very nice
Reply
Farhat
25-Nov-2021 06:37 PM
Good
Reply